पुणे: अन्न को पूर्णब्रह्म माना जाता है, और उसे बनाने वाले तथा बेचने वालों के परिश्रम और सामाजिक दृष्टिकोण का सम्मान किया जाना अत्यंत सराहनीय है। संविधान की तरह अन्न का भी कोई जाति-धर्म नहीं होता, और अन्नदान की सात्विक भावना मानवता का प्रतीक है। आज के समय में सामाजिक विघटन, क्रूरता और असुरक्षा को रोकने के लिए नैतिक मूल्यों पर आधारित संवेदनशील समाज का निर्माण आवश्यक है। यह विचार अखिल भारतीय साहित्य सम्मेलन के पूर्व अध्यक्ष एवं वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. श्रीपाल सबनीस ने व्यक्त किए।
शिक्षाविद् डॉ. न. म. जोशी परिवार द्वारा स्थापित "अन्नब्रह्म" पुरस्कार का यह चौथा संस्करण (2024-25) पुणे के प्रतिष्ठित "श्री मुरलीधर वेज" (पूर्व में मुरलीधर भोजनालय) के संचालक गोपालदादा तिवारी और उनकी पत्नी शारदा तिवारी को प्रदान किया गया। यह सम्मान पुणे के सौ. विमलाबाई गरवारे हाई स्कूल में आयोजित एक भव्य समारोह में सावित्रीबाई फुले पुणे विश्वविद्यालय के प्रो-कुलपति डॉ. पराग काळकर के हाथों प्रदान किया गया। इस अवसर पर वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. न. म. जोशी, पूर्व विधायक उल्हासदादा पवार और प्रसाद जोशी सहित कई गणमान्य अतिथि उपस्थित थे।
भारतीय खान-पान संस्कृति का संरक्षण आवश्यक
डॉ. पराग काळकर ने कहा कि आज की युवा पीढ़ी को अन्न और अन्नदान की मूल भावना की जानकारी ही नहीं है। "टू-मिनिट नूडल्स" के इस युग में उन्हें अन्न तैयार करने के पीछे का परिश्रम समझ में नहीं आता। पुणे में हर साल 4 लाख से अधिक छात्र पढ़ाई के लिए आते हैं और इनमें से अधिकांश अपनी नौकरियों के कारण यहीं बस जाते हैं। इस दौरान उन्हें भोजनालयों का बहुत सहारा मिलता है।
पूर्व विधायक उल्हासदादा पवार ने अपने संबोधन में कहा कि पिज्जा और बर्गर जैसी पश्चिमी फास्ट-फूड संस्कृति के प्रभाव में हमारी भारतीय खान-पान संस्कृति कमजोर पड़ रही है। इस माहौल में मुरलीधर भोजनालय भारतीय खान-पान की समृद्ध परंपरा को बनाए रखने का महत्वपूर्ण कार्य कर रहा है, जो स्वास्थ्य के लिए भी लाभकारी है। यही कारण है कि भारतीय व्यंजनों का आकर्षण अब विदेशियों को भी अपनी ओर खींच रहा है। उन्होंने इस बात पर खेद व्यक्त किया कि जिस तरह उडुपी रेस्तरां भारत के हर कोने में देखने को मिलते हैं, उसी तरह मराठी समाज के लोग खाद्य व्यवसाय में ज्यादा सक्रिय नहीं दिखाई देते।
"हमने हमेशा ग्राहकों की संतुष्टि को प्राथमिकता दी" – गोपालदादा तिवारी
पुरस्कार स्वीकार करते हुए गोपालदादा तिवारी ने कहा कि उनका परिवार पूर्व में "विद्यार्थी मेस" की अवधारणा को सीमित स्तर पर आज भी चला रहा है, ताकि मुरलीधर भोजनालय की पहचान कायम रह सके। व्यवसाय में नैतिक मूल्यों को बनाए रखना जरूरी है, क्योंकि लाभ के साथ-साथ ग्राहक की संतुष्टि और संतोष अर्जित करना भी आवश्यक है।
उन्होंने बताया कि मुरलीधर भोजनालय में राज्य के विभिन्न हिस्सों से आने वाले अनेक प्रसिद्ध कलाकार, राजनेता, उद्योगपति और उच्च पदस्थ अधिकारी भोजन का आनंद ले चुके हैं। यह पुरस्कार तीन पीढ़ियों की तपस्या और उत्तरदायित्व के निरंतर निर्वहन का सम्मान है। उन्होंने इस बात पर भी खुशी जताई कि डॉ. जोशी सर ने अपने पिता की स्मृति में "अन्नब्रह्म" पुरस्कार स्थापित कर खाद्य व्यवसायियों को सामाजिक चेतना का संदेश देने का कार्य किया है।
गोपालदादा तिवारी ने बताया कि "परगांव से आने वाले जरूरतमंद विद्यार्थियों, किसानों के बच्चों, सूखा प्रभावित इलाकों के लोगों और कोरोना काल में सेवा देने वाले विभिन्न समूहों को भोजनालय से व्यावसायिक दृष्टिकोण से नहीं, बल्कि सामाजिक दृष्टिकोण से मदद दी गई।" यह हमारे परिवार के लिए गर्व की बात है।
"पिता के श्राद्ध की बजाय खाद्य व्यवसायियों का सम्मान हमारी सच्ची श्रद्धांजलि" – डॉ. न. म. जोशी
डॉ. न. म. जोशी ने अपने भाषण में कहा कि उनके पिता पेशे से एक आचार्य (रसोइया) थे। इसलिए उन्होंने पिता की पुण्यतिथि पर श्राद्ध करने की बजाय "अन्नब्रह्म" पुरस्कार के माध्यम से खाद्य व्यवसायियों का सम्मान करने का निर्णय लिया। यह हमारे लिए सच्ची श्रद्धांजलि है।
उन्होंने कहा कि मुरलीधर भोजनालय की प्रसिद्धि लंबे समय से बनी हुई है, और यहां पर उचित दरों में स्वादिष्ट भोजन उपलब्ध कराया जाता है। गोपालदादा तिवारी केवल एक व्यवसायी नहीं, बल्कि सामाजिक चेतना रखने वाले राजनेता भी हैं।
पुरस्कार की राशि गरीब छात्रों की शिक्षा के लिए दान
"अन्नब्रह्म" पुरस्कार में मानपत्र, सम्मान चिन्ह और 5,000 रुपये की नकद राशि प्रदान की गई। हालांकि, तिवारी परिवार ने यह राशि गरीब एवं जरूरतमंद विद्यार्थियों की शिक्षा सहायता के लिए डॉ. न. म. जोशी को सौंप दी।
इस अवसर पर दीप्ति डोळे ने मानपत्र का वाचन किया, जबकि प्रसाद जोशी ने मंच संचालन एवं आभार प्रदर्शन किया। कार्यक्रम का समापन अमर काळे के गायन कार्यक्रम और मुरलीधर भोजनालय के स्नेह-भोजन के साथ हुआ।
कार्यक्रम में विभिन्न क्षेत्रों के गणमान्य व्यक्तियों की उपस्थिति
इस भव्य समारोह में संविधान विशेषज्ञ प्रा. उल्हास बापट, मां. विठ्ठल मणियार, रवि चौधरी, सूर्यकांत मारणे, डॉ. मोहन उचगांवकर, माजी उप-प्राचार्य प्रा. संजय कंदलगावकर, विष्णु कुलकर्णी, गणेश नलावडे, खाद्य विक्रेता संघ के पूर्व अध्यक्ष किशोर सरपोतदार, शेखर बर्वे, दत्ता उभे, जयंत पवार, टिळक गणपति ट्रस्ट के अध्यक्ष रविंद्र पठारे, रामविलास तापड़िया, राधेश्याम कासट, प्रो. सुरज कुलकर्णी, उमेश चाचर, सुरेश पारखी, मंगेश झोरे, एडवोकेट फैयाज शेख, प्रमोद वडके, नरेश आवटे, राजेश सुतार सहित विभिन्न क्षेत्रों के गणमान्य पदाधिकारी एवं कार्यकर्ता उपस्थित थे।