इसके बाद पुणे स्टेशन के स्लम इलाकों में भी इन स्वयंसेवकों ने ज़रूरतमंदों को नाश्ता वितरित किया। यह सेवा कार्य गांधीजी के उस विचार को साकार करता है जिसमें उन्होंने कहा था कि सच्ची सेवा वही है जो सबसे गरीब और वंचित व्यक्ति के लिए की जाए।
इन मासूम बच्चों की कठिन ज़िंदगी में जब कोई उनके लिए कुछ करता है, तो उनके चेहरों पर जो सच्ची मुस्कान आती है, वही सबसे बड़ी उपलब्धि होती है। यह एक पुण्य कार्य है जो समाज में सकारात्मक बदलाव ला सकता है।
'अ फ्रेंड इन नीड' और 'हेल्पिंग हैंड्स' समूह ने सभी नागरिकों से अपील की है कि वे ऐसे कार्यों में अपनी भागीदारी दें और किसी भी रूप में सहायता करें – चाहे समय, वस्तुएं या आर्थिक सहयोग के रूप में। सभी सदस्यों को उनके सहयोग के लिए धन्यवाद दिया गया, जिनके कारण यह सेवा सफल हो सकी।
"आइए, हम सब मिलकर मुस्कान बाँटें और किसी के जीवन में आशा की किरण बनें।"